अंधेरे में जन क्यों छिपा जा रहा है
रोशनी रोशनी है चारों तरफ
फिर अंधेरे में जन क्यों छिपा जा रहा है
बनो दीप खुद के अंधेरा मिटा दो
दिल करो अपना रोशन दिया अब बुझादो
जुगनुवों को रातों में मुस्कुराते हुए
हमने देखा है रोशन जहां कर रहा है
फिर अंधेरे में जन क्यों छिपा जा रहा है
महरुम दिल तड़पता है रोशनी के लिए
अंधेरे से जन क्यों डरा जा रहा है
रोशनी रोशनी है चारों तरफ
फिर अंधेरे में जन क्यों डरा जा रहा है
----- दीपमाला श्रीवास्तव
फिर अंधेरे में जन क्यों छिपा जा रहा है
बनो दीप खुद के अंधेरा मिटा दो
दिल करो अपना रोशन दिया अब बुझादो
जुगनुवों को रातों में मुस्कुराते हुए
हमने देखा है रोशन जहां कर रहा है
फिर अंधेरे में जन क्यों छिपा जा रहा है
महरुम दिल तड़पता है रोशनी के लिए
अंधेरे से जन क्यों डरा जा रहा है
रोशनी रोशनी है चारों तरफ
फिर अंधेरे में जन क्यों डरा जा रहा है
----- दीपमाला श्रीवास्तव
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